भारत के नागरिक Ease of Justice के हकदार हैं और सुप्रीम कोर्ट इसका प्रमुख माध्यम है: PM’s Address at the Diamond Jubilee Celebrations of the Supreme Court of India

भारत के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ जी, सुप्रीम कोर्ट के न्याय-मूर्तिगण, विभिन्न हाई कोर्ट्स के मुख्य न्यायधीश, विदेशों से आए हुए हमारे मेहमान जजेस, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल जी, अटॉर्नी जनरल वेंकट रमानी जी, बार काउंसिल के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र जी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदिश अग्रवाला जी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

दो दिन पहले भारत के संविधान ने अपने 75वें वर्ष में प्रवेश किया है। आज भारत के सुप्रीम कोर्ट के भी 75वें वर्ष का शुभारंभ हुआ है। इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सभी के बीच आना अपने आप में सुखद है। मैं आप सभी न्यायविदों को इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

भारत के संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों वाले स्वतंत्र भारत का सपना देखा था। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इन सिद्धांतों के संरक्षण का निरंतर प्रयास किया है। अभिव्यक्ति की आजादी हो, व्यक्तिगत स्वतंत्रता हो, सामाजिक न्याय-सोशल जस्टिस हो, सर्वोच्च न्यायालय ने भारत की वाइब्रेंट democracy को निरंतर सशक्त किया। सात दशकों से भी लंबी इस यात्रा में सुप्रीम कोर्ट ने Individual Rights और Freedom of Speech पर कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं। इन फैसलों ने देश के Socio-Political परिवेश को एक नई दिशा दी है।

साथियों,

आज भारत की हर संस्था, हर संगठन, कार्यपालिका हो या विधायिका, अगले 25 वर्षों के लक्ष्यों को सामने रखकर काम कर रही है। इसी सोच के साथ आज देश में बड़े-बड़े Reforms भी हो रहे हैं। भारत की आज की आर्थिक नीतियां, कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगी। भारत में आज बनाए जा रहे कानून, कल के उज्ज्वल भारत को और मजबूत करेंगे। बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियों में आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर है, पूरी दुनिया का भरोसा भारत पर बढ़ रहा है। ऐसे में आज भारत के लिए जरूरी है कि हम हर अवसर का लाभ उठाएं, कोई भी अवसर जाने ना दें। आज भारत की प्राथमिकता है, Ease of Living, Ease of Doing Business, Ease of Travel, Ease of Communication, और साथ ही Ease of Justice. भारत के नागरिक Ease of Justice के हकदार हैं और सुप्रीम कोर्ट इसका प्रमुख माध्यम है।

साथियों,

देश की पूरी न्याय व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों और मार्गदर्शन, आपके गाइडेंस पर निर्भर होती है। ये हमारा कर्तव्य है कि इस कोर्ट की Accessibility भारत के अंतिम छोर तक हो और इससे हर भारतीय की आवश्यकताएं पूरी हो सकें। इसी सोच के साथ कुछ समय पहले E-Court Mission Project के तीसरे चरण को स्वीकृति दी है। इसके लिए दूसरे फेज से 4 गुना ज्यादा राशि को मंजूरी दी गई है। ये तो आपका विषय है, ताली बजा सकते हैं। मनन मिश्रा ने ताली ना बजाई, वो तो मैं समझ सकता हूं, वो आपके लिए कठिन काम था। मुझे खुशी है कि देश भर की अदालतों के Digitization को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ खुद मॉनीटर कर रहे हैं। Ease of Justice के प्रयासों के लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।

साथियों,

हमारी सरकार, अदालतों में physical infrastructure को सुधारने के लिए भी प्रतिबद्ध है। 2014 के बाद से इसके लिए 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा राशि वितरित की जा चुकी है। मैं वर्तमान सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग में आप सभी को आ रही दिक्कतों से भी अवगत हूं। पिछले सप्ताह ही सरकार ने Supreme Court building complex के विस्तार के लिए 800 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की है। बस अब आप लोगों के पास कोई संसद भवन की तरह पिटिशन लेकर ना आ जाए कि फिजूलखर्ची हो रही है।

साथियों,

आज आपने मुझे सुप्रीम कोर्ट के कुछ Digital Initiatives का शुभारंभ करने का भी मौका दिया है। Digital Supreme Court Reports की मदद से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अब Digital Format में भी मिल सकेंगे। मुझे ये देखकर अच्छा लगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को स्थानीय भाषाओं में Translate कराने की व्यवस्था भी शुरू कर दी गई है। मुझे उम्मीद है कि देश की अन्य अदालतों में भी जल्द ऐसी व्यवस्था हो सकेगी।

साथियों,

आज टेक्नोल़ॉजी कैसे Ease of Justice में मददगार साबित हो सकती है, इसका ये कार्यक्रम अपने आप में एक उदाहरण है। मेरा ये संबोधन, अभी AI की मदद से इसी वक्त इंग्लिश में ट्रांसलेट हो रहा है और आप में से कुछ लोग भाषिणी एप के माध्यम से उसे सुन भी रहे है। कुछ शुरुआती दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी कितना बड़ा कमाल कर सकती है, ये इससे पता चलता है। हमारी अदालतों में भी इसी तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग करके, सामान्य नागरिकों का जीवन आसान बनाया जा सकता है। आपको याद होगा, मैंने कुछ समय पहले कानूनों को सरल भाषा में लिखे जाने की बात कही थी। मैं समझता हूं कि अदालत के निर्णयों का आसान भाषा में लिखे जाने से आम लोगों को और मदद मिलेगी।

साथियों,

अमृतकाल के हमारे कानूनों में भारतीयता और आधुनिकता की समान भावना दिखनी भी उतनी आवश्यक है। वर्तमान की परीस्थितियों और Best Practices के अनुरुप सरकार भी कानूनों को Modernise करने पर काम कर रही है। पुराने Colonial Criminal Laws को खत्म करके, सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की व्यवस्था शुरू की है। इन बदलावों के कारण हमारे Legal, Policing और Investigative Systems ने नए दौर में प्रवेश किया है। ये एक बहुत बड़ा परिवर्तन है। सैकड़ों वर्ष पुराने कानूनों से नए कानूनों तक पहुंचने का परिवर्तन सहज हो, ये बहुत जरूरी है। इसके लिए पहले ही सरकारी कर्मचारियों की Training और Capacity Building का काम भी शुरू कर दिया गया है। मैं सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करूंगा कि वो भी सभी स्टेकहोल्डर्स की ऐसी Capacity Building के लिए भी आगे आए।

साथियों,

एक सशक्त न्याय व्यवस्था, विकसित भारत का प्रमुख आधार है। सरकार भी लगातार एक विश्वस्त व्यवस्था बनाने के लिए अनेक निर्णय कर रही है। जन विश्वास बिल इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इससे आने वाले समय में न्याय व्यवस्था पर बेवजह पड़ने वाला बोझ कम होगा। इससे Pending Cases की संख्या भी घटेगी। आप जानते हैं कि सरकार द्वारा, Alternative Dispute Resolution के लिए Law of Mediation की व्यवस्था भी की गई है। इससे भी हमारी न्यायपालिका, विशेष रूप से Sub-ordinate Judiciary पर पड़ने वाला बोझ कम हो रहा है।

साथियों,

सभी के प्रयास से ही भारत, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा। और इसमें निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अगले 25 वर्षों की भी बड़ी सकारात्मक भूमिका है। एक बार फिर आप सबने यहां मुझे निमंत्रित किया, आप सबके ध्यान में शायद एक बात आई होगी लेकिन ये फोरम ऐसा है कि मुझे लगता है कि उसका जिक्र करना मुझे अच्छा लगेगा। इस बार जो पद्म अवार्ड दिए गए हैं, उसमें सु्प्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और समग्र एशिया की पहली मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट जज फातिमा जी को हमने उनको इस बार पद्म भूषण सम्मान दिया है। और मेरे लिए ये बहुत गर्व की बात है। एक बार फिर मैं सुप्रीम कोर्ट को उसके 75 वर्ष पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद।

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